Caste Census in India: मोदी सरकार ने बड़ा ऐलान किया है – अब अगली जनगणना में “भारत में जाति आधारित जनगणना” को शामिल किया जाएगा। दशकों से लंबित इस मांग को अब सरकार ने स्वीकार कर लिया है, जिससे देश में सामाजिक न्याय और नीति निर्माण को एक नई दिशा मिलेगी। जानिए इस फैसले का असर, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और इसके पीछे की वजहें।
भारत सरकार ने ऐलान किया है कि आगामी जनगणना में अब जाति आधारित गणना (Caste Census in India) भी की जाएगी। यह फैसला दशकों बाद लिया गया है, जो देश की जनगणना प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव माने जा रहा है।

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क्या है Caste Census in India और क्यों है ज़रूरी?
Caste Census in India का उद्देश्य है – देश की विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझना और विकास योजनाओं को सटीक तरीके से लागू करना।
सरकार का कहना है कि “भारत में जाति आधारित जनगणना” से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में लक्षित लाभ पहुंचाना आसान होगा।
राज्यों की पहल और केंद्र की प्रेरणा
बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने पहले ही राज्यस्तरीय जाति सर्वेक्षण किए हैं। इन आंकड़ों से यह साबित हुआ कि Caste Census in India अब समय की मांग है।
एक अधिकारी के मुताबिक:
““भारत में जाति आधारित जनगणना” जैसे प्रयासों से सरकार जमीनी स्तर पर समावेशी विकास सुनिश्चित कर सकेगी।”

समर्थन और आलोचना
जहां विपक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है, वहीं कुछ दलों और समूहों ने इसे जातिवाद को बढ़ावा देने वाला बताया है।
सरकार का कहना है कि “भारत में जाति आधारित जनगणना” सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि नीति निर्धारण में पारदर्शिता लाने का एक वैज्ञानिक तरीका है।